आखिरकार शहरकाजी सैयद मुश्ताक अली नदवी की अपील के बाद शुक्रवार को पुराने शहर की मुस्लिम बाहुल्य बस्तियों में भीड़भाड़ नहीं है। लोग नियमों का पालन करते भी नजर आ रहे हैं। दुकानों के बाहर भी पर्याप्त दूरी बनाकर सामान ले रहे हैं। आज से शहर की सभी मस्जिदों में सामूहिक नमाज नहीं होगी। मस्जिदों में इमाम के साथ सिर्फ चार-पांच लोग ही नमाज अता कर सकेंगे। इधर, पुलिस ने जैनब मस्जिद इस्लामपुरा के इमाम व मोअज्जिज एवं करीब 28 अन्य लोगों के विरुद्ध थाना तलैया में धारा 144 का उल्लंघन करने पर मामला दर्ज किया गया है। ये लोग समझाइश के बाद मस्जिद में सामूहिक रूप से नमाज अता कर रहे थे।
गुरुवार सुबह से शहर की सड़कों पर रोज की अपेक्षा चहल-पहल ना के बराबर है। इसका एक कारण मौसम भी है। शहर में बीती रात से हल्की बारिश और तेज हवाएं चल रही हैं। सुबह मौसम खराब होने की वजह से दूध की सप्लाई थोड़ी देर से हुई। अखबार भी देरी से ही लोगों तक पहुंचे। मौसम खराब होने की वजह से कॉलोनियों में सब्जियों की दुकानों पर अभी सब्जी नहीं पहुंची है। प्रशासन द्वारा होम डिलिवरी आज से सुचारू हो जाने की संभावना है। इधर, नए भोपाल में रात करीब 10 बजे तक पुलिस मुनादी कर कर्फ्यू का पालन करने के बारे में लोगों को समझाती रही। पुलिस ने लोगों को बताया कि ये कर्फ्यू आम जनता को कोराना वायरस जैसी गंभीर बीमारी से बचाने के लिए है।
डीजीपी ने कहा- लॉकडाउन के दौरान जरूरी सेवाएं बाधित न हों
पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) विवेक जौहरी ने प्रदेश के सभी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों, पुलिस अधीक्षकों, रेल पुलिस अधीक्षकों, विशेष सशस्त्र बल के सेनानियों एवं थाना प्रभारियों को पत्र लिखकर उनकी हौसला अफजाई की है। उन्होंने पुलिस जवानों से अपील की है कि इसी समर्पण से कार्य कर लॉकडाउन के शेष दिवसों में भी जनता की सेवा करते रहें, ताकि देश व प्रदेश को कोरोना के संकट से बचाया जा सके। लाॅकडाउन के दौरान जरूरी सेवाएं बाधित न होने पाएं। लॉकडाउन के दौरान मप्र पुलिस बल द्वारा धैर्य पूर्वक किए जा रहे कर्तव्य निर्वहन की डीजीपी ने सराहना की है। साथ ही भरोसा जताया है कि मप्र पुलिस अपनी गौरवशाली परंपरा को कायम रखेगी और कर्त्तव्य परायणता की बदौलत प्रदेश को इस संकट से उबारने में सफल होगी।
संक्रमण की जानकारी छिपाने पर हो सकती है दो साल तक की जेल
कोरोना वायरस का फैलाव रोकने के लिए लागू किए लॉकडाउन का उल्लंघन करने वाले अाैर बीमारी को छिपाने वालों को बाद में जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है। जानबूझकर लॉकडाउन का उल्लंघन करना या कोराना वायरस से संक्रमित होने की जानकारी छिपाना या खुद को क्वारेंटाइन नहीं करने वालों पर कानून में कार्रवाई का प्रावधान है। ऐसे मामलाें में उन्हें 6 माह से लेकर दो साल तक की जेल हो सकती है। संक्रामक बीमारियों की रोकथाम के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 269 और 270 में उल्लेख है कि संक्रामक बीमारी या महामारी के दौरान इसके फैलाव में किसी भी तरह से सहभागी बनना आपको अपराधियों की कतार में खड़ा कर सकता है। इन धाराओं में हाल ही में देश में पहला केस लखनऊ में दर्ज हुआ है, इसके बाद देशभर में कई शहरों में इन धाराओं में केस दर्ज होना शुरू हो गए हैं।
भारतीय दंड संहिता में प्रावधान
- आईपीसी-269- जो लोग गैरकानूनी रूप से या लापरवाही बरतते हुए एेसा काम करते हैं जिससे किसी संक्रामक रोग के फैलने की आशंका है, उन्हें 6 माह तक की जेल या जुर्माना से दंडित किया जा सकता है।
- आईपीसी-270 - जो व्यक्ति जानबूझकर या दुराशय से एेसा काम करता है जिससे किसी जानलेवा संक्रामक बीमारी के फैलने की आशंका बन जाती है। इस धारा के तहत अधिकतम दो वर्ष जेल व जुर्माना की सजा।
- आईपीसी-271 -यदि कोई व्यक्ति क्वारेंटाइन किए विमान या वाहन या स्थान को लापरवाही से या जानबूझकर दूसरों के संपर्क में लाता है, तो उसे 6 माह की जेल और जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।
- कर्फ्यू से अलग है यह अपराध- अक्सर सीआरपीसी की धारा 144 के तहत कलेक्टर कर्फ्यू लगाने का आदेश देता है। इसके उल्लंघन पर आईपीसी की धारा 188 के तहत अपराध दर्ज होता है। इसके तहत 2 से 6 माह तक की जेल और जुर्माने के प्रावधान है।